हद तो तब हो गयी जब एक दिन "एयर कंडीशन बोगी" में चढ़ गये वह भी आदत से मजबूर बिना टिकट और जाकर एक सज्जन की सीट पर बैठ गये।
उन सज्जन ने मना किया तो आदतन शुरु हो गये, पहले भला बुरा कहा, फिर धमकी देने लगे, उससे भी काम नहीं चला तो हाथापाई पर उतारु हो गये।
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उस सज्जन ने फोन करके पुलिस को बुला दिया...
वो तो पुलिस के सामने भी हेकड़ी बघार रहे थे तब तक टीटी भी आ गये।
उन्होंने आते ही सबसे पहले उन महोदय से टिकट मांगा।
अब टिकट तो उनके पास था नही तो आँय -बांय बकने लगे। टीटी ने फ़ाइन की बात की,
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लगाने लगे ?
अब उसकी हिम्मत देख, दो चार बिना टिकट यात्री और आ गये उसके पक्ष में और पूरा हंगामा शुरु कर दिये।
ये क्या तरीका है ?
आपलोग तानाशाही कर रहे हैं! ये आदमी झगड़ा नहीं करता तो आप आते क्या
आप लोग खाली-पीली इस आदमी के सपोर्ट में ये सब कर रहे हैं।
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ये तो घोर अन्याय है...
हम गरीबों को तो कोई देखने वाला नही है! रेल गरीबों की दुश्मन है!
अब टीटी और पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि बिना टिकट यात्री को फ़ाइन और अरेस्ट करने की बात करके उन्होंने गलत किया या सही
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