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यासीन मलिक को यदि आतंकी छुड़ा ले गए तो क्या TADA जज जिम्मेदारी लेंगे? कल जम्मू कश्मीर की TADA कोर्ट ने रुबिया सईद के अपहरण केस में यासीन मलिक को कोर्ट में पेश करने के तिहाड़ जेल को निर्देश दिए हैं जिससे वो अपने केस में गवाहों का Cross Examination खुद कर सके। यासीन (1/9)

मलिक ने कहा है कि उसका केस लड़ने के लिए उसके पास कोई वकील नहीं है और इसलिए वो खुद केस में अपना पक्ष रखेगा। TADA कोर्ट ने उसका अनुरोध मान लिया। यासीन मलिक किसी वकील को कहे उसका केस लड़ने के लिए और वो मना कर दे, ऐसा हो सकता है क्या? निजी रूप में अदालत में हाजिर हो कर (2/9)
पैरवी करने के पीछे कोई साजिश हो सकती है जिस पर TADA जज ने ध्यान नहीं दिया लगता है। CBI ने दलील दी कि जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि आपराधिक मामलों में आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश किया जाये परन्तु TADA कोर्ट ने CBI की दलील को दरकिनार करते हुए (3/9)
यासीन मलिक को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दे दिए। इसके पहले 23 अगस्त को भी यासीन मलिक ने खुद हाजिर होने की अपील की थी मगर तब TADA कोर्ट ने ही ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि क्योंकि जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार सभी आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से (4/9)
पेश हो रहे हैं, इसलिए मलिक को स्वयं पेश होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। एक महीने पहले TADA जज हाई कोर्ट के निर्देश मान रहे थे लेकिन कल मानने से इंकार कर दिया। यासीन मलिक एक सजायाफ्ता अपराधी है जो भी एक आतंकी है और जिसके संबंध पाकिस्तान से भी हैं। पाकिस्तान ही यासीन (5/9)
मलिक को उम्र कैद की सजा होने पर सबसे ज्यादा तड़पा था। उसे यदि आतंकियों ने दिल्ली से जम्मू कश्मीर ले जाते या वापस लाते हुए छुड़ा लिया तो क्या TADA जज जिम्मेदार होंगे। अपना आदेश थोपने से पहले TADA जज को सोच विचार कर लेना चाहिए कि यासीन मलिक को कोर्ट में दिल्ली से लाना (6/9)
खतरे से खाली नहीं है। यासीन मलिक को 30 वर्ष तक किसी ने सजा दिलाने की तो क्या, मुकदमा चलाने की भी हिम्मत नहीं की थी बल्कि उसे पिछले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो बिरयानी खिलाने के लिए स्वागत करते थे। ऐसे व्यक्ति को TADA जज क्या सोच कर सशरीर पेश करने का आदेश दिए हैं। (7/9)
मेरे विचार में CBI को इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए। आज समस्या इसलिए बनती जा रही है कि कोई भी जज हो चाहे लोअर कोर्ट का, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का किसी की कुछ सुनने को तैयार नहीं है, हर कोई मनमाने आदेश दे रहा है चाहे गलत ही क्यों न हों। मलिक को लाने (8/9)
में यदि कुछ गड़बड़ हो गई तो TADA जज सुरक्षा एजेंसियों पर दोष मढ़ कर पल्ला झाड़ लेंगे और फिर जांच होती रहेंगी। ये आदेश देश को संकट में डाल सकता है। #साभार: सुभाष चन्द्र (9/9)
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