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*रोजाना एक-दो बार अवश्य पढ़ें।* *विधि का विधान* *श्री रामजी का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे; फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक!* *और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया* 👇

"सुनहु भरत भावी प्रबल,* *बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।* *हानि लाभ, जीवन मरण,* *यश अपयश विधि हाथ।।"* *अर्थात - जो विधि ने निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा!* *न श्रीराम के जीवन को बदला जा सका, न श्रीकृष्ण के!* *न ही महादेव शिव जी, सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्ही
का आवाहन करता है!* *न गुरु अर्जुन देव जी, और न ही गुरु तेग बहादुर साहब जी, और न दश्मेश पिता गुरु गोविन्द सिंह जी, अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके, जबकि आप सब सर्व समर्थ थे!* *रामकृष्ण परमहंस भी अपने कैंसर को न टाल सके!* *न रावण अपने जीवन को बदल पाया, न ही
कंस, जबकि दोनों के पास अपार समस्त शक्तियाँ थी!* *इंसान अपने जन्म के साथ ही जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश-स्थान सब पहले से ही निर्धारित करके आता है!* *इसलिए सरल रहें, सहज रहें, मन, वचन और कर्म से सद्कर्म अच्छे काम में लीन रहें!*👇
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R P Pathak-पाठक जी
सत्य पंथ का करि प्रचारा | देश धर्म का करि विस्तारा || निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा जय हिन्द राष्ट्रहित व धर्म रक्षा सर्वोपरि हिंदू राष्ट्
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